Tuesday, May 5, 2020

03 कलम कुछ भी लिखे

कहकशां


दिल तो करता है लिख दूँ ,मोहब्बत के हर अल्फाज
मगर क्या करूँ उसने इज़ाजत नही दिया,
जिसने भी दिया अल्फाजे मोहब्बत
मैं उसे ढूंढ कर कहा से लाऊ।

न मिली तसल्ली किसी गैर से मिलने के बाद
लौट आजा अये मेरे सनम सब गिले शिकवे खत्म होने के बाद।
मुझे उम्मीद हैं तेरे मोहब्बत की रियासत से
पाक दमन हैं आज भी तू एक अर्शे के बाद।
चल कही दूर चलते हैं तुझे पाने के बाद
क्या पता कोई और जाग जाए मेरे सोने के बाद।

सब कुछ पा लिया तेरे आने के बाद
अब तो जी भर के शो लेने दें मौत आने तक,
क्या पता फिर न मिले मौका जागने के बाद।
इसी उम्मीद पे क़याम हैं सनम तुझे वापस पाने का बाद





अब्दुल्ला साबिर
Abdulla sabir



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