दौलत का हुजूम
इस दुनिया में दौलत का सुरूर इस कदर हैं कि,
मर जाना ठीक हैं लेकिन उसे खाना नही।
खुदा करे कि कुछ ऐसे लोग हो इस महेसर में ताकि,
दुनिया को पता चले दौलत ही नही सब कुछ इस महेसर में।
ये बेहतर जानते हैं जमाने वाला,
कि खुदा ही हैं सब को खिलाने वाला।
मगर अफ़सोस इस बात का है कि लोग खुद खुदा बन बैठे,
आई बात जब खिलाने की खुद फ़क़ीर बन बैठे।
ये दौलत भी सोहरत भी दुनिया मे छोड़ जाओगे,
होकर खाली हाथ वक्त बे वक्त जाओगे।
याद रखना ज़माने की आदत बुरी हैं,
छोड़ जाते हैं राह में साथ चलते चलते।
मगर मैं कितनी तारीफ करूँ इंसान की,
जो भूल जाते हालात राह चलते चलते।
करूँ क्या शिकयत ख़ुदा से अपनो का,
भूल जाते हैं गम राह चलते चलते।
दौलत का नशा भी उतरा गम के बाजार में,
जो चले थे मैख़ाने में हुस्न लूटने,
समझ आया मैख़ाने में जब लुटी दौलत,
हुस्न इश्क को लूटते हुए ख़ज़ाने सें,,.....
अब्दुल्ला साबिर
Abdulla sabir
इस दुनिया में दौलत का सुरूर इस कदर हैं कि,
मर जाना ठीक हैं लेकिन उसे खाना नही।
खुदा करे कि कुछ ऐसे लोग हो इस महेसर में ताकि,
दुनिया को पता चले दौलत ही नही सब कुछ इस महेसर में।
ये बेहतर जानते हैं जमाने वाला,
कि खुदा ही हैं सब को खिलाने वाला।
मगर अफ़सोस इस बात का है कि लोग खुद खुदा बन बैठे,
आई बात जब खिलाने की खुद फ़क़ीर बन बैठे।
ये दौलत भी सोहरत भी दुनिया मे छोड़ जाओगे,
होकर खाली हाथ वक्त बे वक्त जाओगे।
याद रखना ज़माने की आदत बुरी हैं,
छोड़ जाते हैं राह में साथ चलते चलते।
मगर मैं कितनी तारीफ करूँ इंसान की,
जो भूल जाते हालात राह चलते चलते।
करूँ क्या शिकयत ख़ुदा से अपनो का,
भूल जाते हैं गम राह चलते चलते।
दौलत का नशा भी उतरा गम के बाजार में,
जो चले थे मैख़ाने में हुस्न लूटने,
समझ आया मैख़ाने में जब लुटी दौलत,
हुस्न इश्क को लूटते हुए ख़ज़ाने सें,,.....
अब्दुल्ला साबिर
Abdulla sabir
Behtareen prayaas.. 👌🙌😇
ReplyDeleteShukriya didi
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