Saturday, January 15, 2022

दिल की बात

आज समाज में इस तरह नफ़रत फैलाई जा रही जो दीमक की  तरह हमारे देश को बरबाद कर देंगे ।
जो की समाज में रहने वाले एक दूसरे मिलजुल कर चलना पड़ता है लेकिन इस तरह का जहर घोल दिया गया है की जो सामाजिक रूप से सही नही हैं।
इस प्रकार के  भेदभाव को बहुत तेजी से बढ़ाया भी जा रहा हैं जैसे कि सामने ही दिखता हैं।
हम किस विकास की तरफ बढ़ रहे है मुझे तो समझ में नहीं आ रहा हैं ,की कैसे हालात एक दूसरे से सही होंगे ये तो पता नहीं लेकिन इसके लिए हम सब जिम्मेदार हैं  ।
बस इतना ही है आज के लिए।
और देश में कोरोना की तीसरी लहर चल रही अपने परिवार का और अपने पड़ोसियों के साथ-साथ अपना भी ध्यान रखे ,
#Stay home
#Wear mask
#Social distance
धन्यवाद

अब्दुल्ला साबिर 

Friday, May 22, 2020

पड़ोसी ए गुलिस्तां



पड़ोसी ,जब बात पड़ोसी की आती है तो कुछ लोग बहुत खुश होतें हैं, कुछ तो ऐसे मुह बना कर रिएक्ट करेंगे कि ऐसा लगता हैं ,नजाने उनके पड़ोसी उनके साथ क्या कर दिया हैं।
अरे,भाई पड़ोसी का तो वह मर्तबा हैं कि जितना तारीफ किया जाये उतना कम लगता हैं। लेकिन हा पड़ोसी को भी चाहये की वह भी अपने पड़ोसीयो का ध्यान रखे। क्योकि बुरे वक्त में सबसे पहले पड़ोसी ही हमारे काम आता हैं , फिर वो चाहे जैसा भी हों। अगर दुनिया मे जब आ ही गये हो तो कुछ ऐसा काम करो कि जो लोगो के दिलो में "अमर" हो जाओ ।क्योकि आज का समाज ऐसा हो गया हैं ,कि इस मुश्किल के दौर में कोई किसी को खुश देख ही नही सकता। अरे भाई क्यों ,आप को तकलीफ होती हैं पड़ोसी की कामयाबी से,उनसे जलने (नफरत)की जरूरत नही हैं साहब उनसे सीखने की जरूरत हैं ।और जो भी पड़ोसी परिपूर्ण रूप से कुशल हैं उन्हें भी चाहये की अपने मजलूम पड़ोसी का भी अहतराम(मदद) करें ।उनके सामने कुछ ऐसा दिखावा न करे कि उनको अपने मजलूम होने का तकलीफ हो। वो तो अपने मजलूम होने का किसी से शिकयत तो नही करेंगे लिकिन यकीन जानिए अगर आप का खुदा (ईश्वर)रूठ गया तो तुम्हारा सब दिखवा धरा का धरा रह जायेगा शायद। पड़ोसी तो ऐसा गुलदस्ता है कि आप उसमें किसी भी तरह का फूल डालेंगें वैसे ही बन जायेगा वो तो अपने ऊपर हैं।




मैं यहाँ "मुस्लिम" भाइयो से अपील करना चाहता हूं कि रमजान मुबारक का पाक महीना चल रहा है, तो आप से दरखास्त हैं कि अपने पड़ोसी का खास ख्याल रखें, फिर चाहे वो जिस धर्म या मजहब का हो, और सबसे सुलह रहमी कर लें । इस मुश्किल के दौर में जो हालात हैं मुल्क में हमें एक दूसरे का ख्याल रखने की जरूरत हैं। आज समुदाय या मजहब में उलझने की जरूरत नही हैं ,सबसे प्यार से रहने और सुख-दुख आपस मे बाँटने की जरूरत हैं।इस्लाम के मायने मोहब्बत मेलभव और भी बहुत सी ऐसे बातें हैं जो इस्लाम के मायने हैं, लेकिन मैं यहाँ पड़ोसी की बात कर रहा हूँ इस लिये में उन्ही के बारे के बताना चाहता हूँ। हम लोग कहते हैं ना की हम मुसलमान है मुसलमान अरे काहे का मुसलमान जो मुसलमान होने का सही मतलब ही नही पता। बस कुछ दो चार सही मतलब बताता हूँ, जैसे- भाईचारा, रहम करने वाला, सब्र करने वाला, झूट न बोलने वाला, हराम की कमाई न खाने वाला, बुराई से बचने वाला,और सबसे अहम बात पड़ोसी से खैर रखने वाला मेरे भाइयो अपना लो ये सब यकीन जानिए दुनिया भी जन्नत और आख़िरत भी जन्नत।हालांकि ये सब बातें हम सब को पता हैं लेकिन अमल में लाने की जरूरत हैं मेरे भाइयो।

  • जब हम सब बोलते हैं कि "मजहब नही सिखाता आपस मे बैर रखना "  तो ये नफरत कहा  से समाज में आया हैै ये सोचने की बात हैं कि ये कौन लोग है जो समाज मे या पड़ोस में जहर घोल रहेे हैं, उनसेे बचने की जरूरत हैं, और उनको सबक, सिखाने की जरूरत हैं।
और हमारे "सनातम"  धर्म के मानने वाले भाइयों से भी यही  अनुरोध हैं कि जिस धर्म को आप मानते हैं उस धर्म की परिभाषा को समझे और उस "सनातम"धर्म निर्देश का पालन भी करें ,फिर आप देखेंगे, कि आप की अपनी निजी जीवन में जो बदलाव आएगा उसको देखने के बाद बहुत सुकून मिलेगा।ये में नही कह रहा हूँ न ही मेंंरी अपनी राय है,


ये आप के वेद में लिखा है मेरे भाई,बस उसे हमे सही तरह पढ़ने और समझने की जरूरत हैं। और ये तब पता चलेगा जब सही धर्म गुरु के संपर्क में आएंगे, क्योंकि वही है जो आप सही मार्गदर्शन की तरफ सही जानकारी देंगे। अन्यथा ऐसे लोग के सम्पर्क में बिल्कुल ना आये जिनको न ही वेद का ज्ञान है ना ग्रंथ का। और फिर उन्ही धर्म गुरुओं से पूछे कि पड़ोसी के बारे  कैसा व्यहार करना चाहये। वो आप उनके विचार से ही आप को पता चल जायेगा। आज मेरी एक गुजारिश हैं कि जिस मोहल्ले या कालोनी में आप रहते है वही से शुरआत करना चाहये कि पड़ोसी की मदद करे और उनसे अच्छा व्यहार करे। इससे क्या होगा कि आप के बच्चो पे भी असर पड़ेगा और फिर शायद आप को अपने बच्चों से सम्मान मिलने लगे जो आप अपनी बुढ़ापे में चाहते हैं। हो सकता हैं कि आप को बुढ़ापे में बृद्धा आश्रम न जाना पड़े।
मैं यह सिख भाइयो का सम्मान करना चाहता हूं जो पड़ोसी हो या कोई और वो सबसे पहले आते हैं मदद के लिए क्या सिखा रहे समाज को देखो कैसे करते है मदद लोगो का,उनके आपसी ताल्लुक देखो और समाज के प्रति कितना लगाओ हैं ना जाति न धर्म न ऊंच न नीच कोई भेद भाव नही ये जो कर रहे हैं काबिले तारीफ हैं। हमें इनसे सीखने की जरूरत हैं साथियों आओ पहल कर हम सब एक हैं।
वैसे तो हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई सब एक दूसरे की मदद कर रहे हैं लेकिन हैं कुछ लोग जो नफरत के बीच बोते हैं में उन्ही लोगो से भी खैर की उम्मीद रखता हूँ।
साथियों अगर लिखने में किसी धर्म  के बारे कुछ रह गया हो तो माफ कर क्योकि मैं नही चाहता हु कि किसी धर्म या जाति को ठेस पहुँचे।

मेरे भाइयों और बहनों और अजीज साथियों लिखने में अगर कुछ खामिया रह गए हो तो अपना समझ कर माफ् करे और दुआ करे जो लिखा हैं मैंने मैं खुद उसे पे अमल करू।
शुक्रिया दोस्तों



अब्दुल्ला साबिर
Abdulla sabir


Sunday, May 17, 2020

DayThink: वादा तेरा वादा

DayThink: वादा तेरा वादा: वादा तेर वादा      मासूम  मजदूर  लाचार  किसान    वादा किया जिलाने का मुझको रुला दिया आये थे शहर कमाने हमको परेशान किया जा सरकार...

वादा तेरा वादा

वादा तेर वादा
     मासूम मजदूर लाचार किसान   


वादा किया जिलाने का मुझको रुला दिया
आये थे शहर कमाने हमको परेशान किया
जा सरकार तुझको भूल दिया जा रे जा...
जब लेना था वोट हमसे तब गले लगा लिया
जब आये बात सुभिधा देने की तो हमको भगा दिया 
इस संकट की घड़ी में भी अपना रुख दिख दिया
मिलने थी बस रेल सेवा पैदल भगा दिया 
जा सरकार तुझको भुला दिया जा रे जा ...
हम मजदूर किसानों को लाचार किया गया
बिना पानी खाना के जीना पड़ा 
गुनाह किया किसने किसको सजा मिली
निकले थे जान बचाने रोड पे मौत वहाँ पर भी मिली
जा सरकार तुझको भुला दिया जा रे जा...
जब लेना था वोट किये थे वादे बड़े बड़े 
जब मांगा आज अपना हक तो पड़े छड़े
जा सरकार तुझको भुला दिया जा रे जा...
वादा किया निभाने वादा भुला दिया



अब्दुल्ला साबिर
Abdulla sabir

Saturday, May 16, 2020

तेरे शहर न आना दूबारा

मजलूम मजदूर गरीब किसान


ये आँखे ये नजरें मिलगी न दुबारा
तेरे मुल्क तेरे घर न आना दुबारा
मगर हम मिलेंगे न कभी  न दूबारा
वो वक्त भी आयेगा जब जागोगे दूबारा।

गिरे इस कदर  दर बे दर हो गए
तेरी नजरों के सामने बिखर हम गये
पता नही था मुझको ए हुकमते सरकार
तेरे दिल मे न जगह न थी हम गरीबों को खिलाने की।

क्या पता सरजमीं पे जिंदा कौन रहेगा
इस मुल्क की हिफाजत कोन करेगा
सलामत रहेंगे अगर फिर तकलीफ नही देंगे
रहेंगे अपने बसेरे में मगर तेरे शहर न आएँगे।

पूछ रहा हैं नन्हा बच्चा घर कभी आएगा
कैसे कहूँ ये नादान अभी कदम चलाये जा
निकलेगे जब खून की पिचकारी पंजों से
बस रूह निकलने से पहले अपना घर आयेग।


अब्दुल्ला साबिर
Abdulla sabir



Monday, May 11, 2020

अपना घर बचाते हैं

मजदूर फिर मजबूर
औरंगाबाद रेल हादसा


ये जनता हैं बड़ी मगरूर अपना दर्द छुपाते हैं,
कटेगे पटरियों पे खुद अपना घर बचाते हैं।

हुए जब ख्वाब मे मजलूम थके थे पूरे दिन के वो 
चली आई वो मौत जब पकड़ कर ट्रेन कि पटरियां

वतन लौटने के ख्वाहिश में जब वो टूट जाते हैं,
हुए कत्ले आम फिर मजदूर जब अपने घर को जाते हैं।

जरूरत थी उन्हें जिन चीज को वो मिल नही पाई,
मगर अफ़सोस है इस बात का मातम देश मनाता हैं।

हुए मजबूर वो मजदूर कमाने बाहर जाते हैं,
गमो का बोझ हैं उनके सर जिससे वो टूट जाते हैं।

ये जनता हैं बड़ी मगरूर अपना दर्द छुपाते हैं,
करे क्या उन रोटियों को जिह्वे वो लेकर आये थे।

मिली सब खाक में रूहे बची रह गई थी रोटियां,
जिसे पाने की खातिर वो अपने घर से जाते थे।

हुए जब ख्वाब मे बेदार तब उनकी मौत आती हैं
लहू से लिपट कर ट्रेन की पटरियां खूब रोती हैं।






अब्दुल्ला साबिर
Abdulla sabir

Sunday, May 10, 2020

Mother's Day

 एक दिन माँ के नाम

वैसे तो लिखने का मेरा कोई विचार नहीं था, लेकिन लोगो का Mother's Day  पे इतना Social Media पे लोगो का लगाव माँ के प्रति देख कर मैं अपने आप को रोक नही सका।
जिस तरह आज लोग अपने माँ के साथ फोटो डाल रहे हैं और मिस यु माँ जो लिख रहे हैं ,कुछ लोग आज के दिन अपने माँ को सम्मानित भी करेंगे या कर चुके होंगे ये अच्छी बात हैं सम्मान करिये लेकिन एक दिन नही पूरे साल पूरी जिंदगी और जब तक आप की माँ आप के साथ इस  दुनिया मे हैं। क्योंकि माँ के लिए एक दिन काफी नही हैं मेरे दोस्तों ये याद रखिये। माँ इस दुनियां में हमारे सब के लिए सब बड़ी अमानत हैं। क्योंकि माँ का प्यार अपने बच्चों के लिए कभी कम नही होता चाहें आप जिस भी उम्र में हो जाये क्योंकि भाईयो ये ममता का पिटारा सिर्फ माँ को ही मिला हुआ हैं कभी कम नही होती हैं ये वो पिटारा हैं, वही माँ हैं जो पूरे साल आप के आप के लिये मिन्नते करती रहती हैं चाहें फिर वो जिस भी हाल में हो लेकिन अफ़सोस कुछ निकम्मी औलादें भी हैं समाज मे जो अपनी माँ की कद्र नही करते हैं मैं उनसे क्या कहूँ लेकिन जो लोग मेरी यह पोस्ट पढ़ रहे हैं मेरी उनसे गुजारिश हैं मत छोड़ियेगा अपनी माँ  की खिदमत क्योंकि जब तक माँ इस दुनिया मे हैं तब तक आप की किस्मत बुलन्द रहेगी।समाज में कुछ ऐसे लोगो भी हो गए है कि जैसे ही उनके माँ बाप बुढ़े हो जाते हैं तो वो लोग उनको व्रद्ध आश्रम में छोड़ जाते हैं और किसको छोड़ कर आरहें ये लोग मैं आप से बताऊँ की जब ये लोग छोटे होते एक खरोच भी आने पे माँ का निवाला रुक जाता हैं और वही समाज उन माँ के साथ ऐसा कर रहा हैं यकीन जानिए बड़ी अफसोस कि बात हैं। औलादे तो औलादे लेकिन जब उनकी शादी हो जाती है तो जो उनकी पत्निया आती हैं वो भी बेशलूकी से पेश आती हैं अपनी साशु माँ के साथ और मैं आप से एक बात बताऊ ये वही पत्निया है जो अपनी माँ से घण्टो के हिसाब से फ़ोन पे बात करती हैं, और वहाँ अपने भाभी को ज्ञान दे रही होती हैं मम्मी का ध्यान रखना और यह जो उनकी साशु माँ हैं उनको व्रद्ध आश्रम में भेजने की तैयारी चल रही होती हैं और ये ऐसे ही चल रहा है आजकल, मेरी आप सब से गुजारिश है कि कोई पर्सनल न ले ये किसी एक के लिए नही लिख रहा हूँ सब के घर मे यही चल रहा हैं। आप ये देख भी रहे होंगे ,में क्या लिखूं माँ के बारे में मेरी कोई इतनी हिम्मत नही मैं उनकी ममता को एक लेख में बयान कर दूँ हा चंद सच्चाई लिख रहा हूँ जो आजकल समाज मे अंजाम दिया जा रहा है , माँ के कदमो में यु ज़न्नत नही हैं यारो उसके लिये भी दुनिया मे कुछ काम करना हैं कर लो खिदमत जब तक हैं आप कि माँ सलामत इस दुनिया में। और मेरी उन तमाम बहनों से गुजारिश हैं जो शादी करके अपनी पति के घर जब जाएं तो साशु माँ का ध्यान रखें, क्योंकि कभी ना कभी आप भी माँ बनेंगी फिर उस समय आप को एहसास होगा कि माँ क्या होती हैं इस लिए समय रहते ही इज्जत करिये क्योंकि जो आप अपने बच्चों को संस्कार देंगी वही आप को वापस मिलेगा।जैसे ही अपने माँ या साशु माँ या जितने भी माँ हैं सब की खिदमत करें।
ये एक दिन सोशल मीडिया पे पोस्ट डालने से या एक दिन का प्यार दिखाने से सब कुछ ठीक नही हो जाता हैं जैसे माँ आप की पूरी उम्र सेवा करती है वैसे ही आप का भी हक़ बनता हैं 
मेर तो कहना हैं कि माँ है तो सब कुछ हैं ये आशमं भी जहां भी हैं। 
मेरी यह पोस्ट अन्यथा कोई न लेगा



अब्दुल्ला साबिर
Abdulla sabir

Saturday, May 9, 2020

ना हिन्दू बनेंगे, ना मुसलमान बनेगें

बदलता हिंदुस्तान 


ना हिन्दू बनेंगे, ना मुसलमान बनेगें,
हम तो ... वतन परस्त इंशान बनेगें
ना हिन्द में रह कर कोई गलत काम करेंगे,
हम तो ... वतन परस्त इंशान बनेंगे।



जिस देश में हिन्दू-मुसलमान हो सिख-ईसाई
सब का एक ही विचार हैं आपस में भाई-भाई
एक ऐसा देश हैं जो देता हैं सदाए
ना हिन्दू बनेंगे, ना मुसलमान बनेगें,
हम तो ... वतन परस्त इंशान बनेंगे।




जब मुल्क में हो कत्ले आम तो हम साथ रहेंगें,
आपस में मिलकर रहेंगे तो इंसान बनेगें।
मिलकर हम सब हिन्द को आबाद करेंगें।
ना हिन्दू बनेंगे, ना मुसलमान बनेगें,
हम तो ... वतन परस्त इंशान बनेगें।



हो कर ना जुदा आपस में होंगे जिंदा ।
कायम करेंगें मिशाल हम दुनिया में रहकर 
ना हिन्दू बनेंगे, ना मुसलमान बनेगें,
हम तो ... वतन परस्त इंशान बनेगें।

                

अपने आसपास सफाई रखें और स्वच्छ भारत बनाये

और एक दूसरे का सहयोग करें, और मुल्क की हिफाज़त करें।
अपना भारत स्वच्छ भारत 



अब्दुल्ला साबिर

Abdulla sabir

07 कलम कुछ भी लिखें

मोहब्बत हैं तुमसे सनम

मोहब्बत हैं सनम तूझसे ये कैसे बया करूँ,
धड़कन हैं तू मेरी ये कैसे बयाँ करूँ।

कभी तो वक्त दे दे इज़हारे इश्क के लिए,
जमाना देखेगा मेरी मोहब्बत की चमक,
अगर देखना हैं मोहब्बतों की सरहदे,
देख लो उनको जाकर जरा जो खुद मोहब्बत के दीवाने बनें बैठे हैं।

वक्त भी थम जाएगा बादल भी मचल जाएगा,
जब मागूँगा मैं खुदा से तुमको ये जमाना भी बदल जायेगा।

हम तो दीवाने हैं तेरे फिर न यू उल्फत कर सनम,
वरना बिन मौसम बादल भी पिघल जायेगा,
फिर डूबेंगे लोगो के मकान आयेगा तूफान चल कर घरो में,
जब देखेंगा मंजर आलमें जहाँ आँखो से अश्क निकल आयेंगे।





अबदुल्ला साबिर
Abdulla sabir

Thursday, May 7, 2020

05 कलम कुछ भी लिखें

दौलत का हुजूम

इस दुनिया में दौलत का सुरूर इस कदर हैं कि,
मर जाना ठीक हैं लेकिन उसे खाना नही।

खुदा करे कि कुछ ऐसे लोग हो इस महेसर में ताकि,
दुनिया को पता चले दौलत ही नही सब कुछ इस महेसर में।

ये बेहतर जानते हैं जमाने वाला,
कि खुदा ही हैं सब को खिलाने वाला।

मगर अफ़सोस इस बात का है कि लोग खुद खुदा बन बैठे,
आई बात जब खिलाने की खुद फ़क़ीर बन बैठे।

ये दौलत भी सोहरत भी दुनिया मे छोड़ जाओगे,
होकर खाली हाथ वक्त बे वक्त जाओगे।

याद रखना ज़माने की आदत बुरी हैं,
छोड़ जाते हैं राह में साथ चलते चलते।

मगर मैं कितनी तारीफ करूँ इंसान की,
जो भूल जाते हालात राह चलते चलते।

करूँ क्या शिकयत ख़ुदा से अपनो का,
भूल जाते हैं गम राह चलते चलते।

दौलत का नशा भी उतरा गम के बाजार में,
जो चले थे मैख़ाने में हुस्न लूटने,

समझ आया मैख़ाने में जब लुटी दौलत,
हुस्न इश्क को लूटते हुए ख़ज़ाने सें,,.....


अब्दुल्ला साबिर
Abdulla sabir

Wednesday, May 6, 2020

MODERN WORLD

जिंदा रह कर भी जिंदा नही



इस मॉडर्न दुनिया में आज बहुत कुछ बदल चुका हैं या बदलने की तैयारी में हैं ,क्योंकि हम सब को मॉडर्न या हाई टेक्नोलॉजी में जीने की आदत बनती जरही हैं लेकिन क्या हम लोगो ने कभी सोचा कि हम अपना पुराना जीवन या मैं यू कहूँ कि सूकून से भरा हुआ शुद्ध वातावरण साफ पीने का पानी और शुद्ध हवाएं स्वस्थ जीवन या खुशहाल जिन्दगी। न ज्यादा बीमारी बस वही दो चार बीमारी जिसका इलाज हमारे घर या आस-पास की हकीम से हो जाता था। और हमारे घरों में जो भी नवजात शिशु पैदा होते थे उनको स्वस्थ रहने के लिए माँ का दुध ही सब कुछ होता था। क्योंकि उस समय हम सब शुद्ध भोजन खाते जो भी हमारे यहाँ होता था। लेकिन आज हम अपने खाने पीने तथा अन्य सभी चीजें बदल चुके हैं।पीने के लिए मिनरल वाटर चाहये, खाने के लिए बर्गर,पेटीज,पिज्जा,चाऊमीन,सैंडविच,या यू कहे खाने के सारे मेनू ही बदल दिया। और ये सब खाने के बाद हम पीते हैं सॉफ्टड्रिंक इस भूल में की जो खाया अब वो हजम कर देगा ये सॉफ्टड्रिंक इस गलत फहमी में पी जाते हैं। थोड़ा सोचने वाली बात ये हैं क्या सच मे ऐसा ही होता हैं,ये जानने के लिए जाइये अपने डॉक्टर से पूछियेगा क्या सही हैं क्या गलत। क्योकि हम ऐसा ही करते हैं, मेरे भाइयों दोस्तों बुजुर्गो इस विषय पे हमें और आप को ध्यान देने की जरूरत हैं। अगर ध्यान नही दिया तो सोचियेगा कि हम अपनी आने वाली नई पीढ़ी को क्या देकर जा रहे हैं। पैसा तो बहुत होगा मकान भी बहुत बड़े-बड़े होंगे और बड़ी-बड़ी गाड़िया जिससे वातावरण में बदलाव होगा, लेकिन क्या उनके पास जीवन जीने का इन्हीं सब की जरूरत हैं । तो शायद जवाब होगा नही क्योंकि जीवन जीने के लिए शुद्ध हवा,साफ पीने का पानी, स्वस्थ जीवन। लेकिन आज देखये की जंगलो की कटाई किस तरह बढ़ रही हैं। और हम सोच रहे हैं कि हमे क्या लेना कट रहे हैं तो कटने दो, लेकिन याद रहे हमारे आने वाली पीढ़िया बहुत अच्छा जीवन व्यतीत नही कर पाएंगे, अगर ये सब नही रहा तो।


1-पानी आज हम सब को पता हैं कि पीने का पानी का लेबल बहुत कम हो चुका और जो बचा हैं उसमें भी जिसके घरो में बोरिंग या गांव की बात करे समर सेबिल् लगा वो ऐसे पानी को मिस यूज़ करते हैं जैसे उनको पानी के बारे में कुछ मालूम नहीं,शहरों के लोग मोटर लगा कर जो अपने घर के सामने वाली सड़को को धोते हैं, ऐसा लगता हैं सारी सफाई या सड़क धुलाई की जिम्मेदारी इन जनाब के पास ही हैं,और उन्ही के दाएंबाये कुछ बेचारे ऐसे होते हैं, जिन्हें पानी के पाने के लिए कड़ी मेहनत करना पड़ता हैं। आजकल नहाने के लिए बड़ो घरो में सावर के इस्तेमाल घंटो के हिसाब से होता हैं, और पानी को बेवजह बहाया जाता हैं। वही लोग आकर उन गरीबो को ज्ञान देंगे जो बेचारे नहाने के लिए भी 1-2 बाल्टी में नहाते हैं। भाइयो अमीर हो या गरीब सब को मिल कर पानी को बचाना हैं, नही तो जैसे और मुल्कों में हैं पानी हप्तों के हिसाब से मिलेगा वो भी नपातुला फिर शायद हम सब को इस बात का अहसास होगा क्या खोया। आज शहरों में पानी की काला बाजारी शुरू हो चुकी हैं ये हम सब देख भी रहे हैं। और अगर सावर से नहाना ही हैं तो नहाये लेकिन जितनी जरूरत हैं। मेरी आप सब से अपील आईये हम सब मिलकर पानी को बचाने का वचन लेते हैं। 

2-पेड़ आज जिस तरह से काटें जारहे हैं ये भी पूरे समाज को अच्छी तरह मालूम हैं लेकिन बात वही अपने से क्या लेना लेकिन याद रखिये सब को लेना भी और योगदान देना भी हैं ।पेड़ काटने में बुराई नही लेकिन उतने हीलगाने की आवश्यकता हैं। पहले हर गॉव में बगीचे होते थे आम के महुआ जामुन अमरूद आदि लेकिन आज अभी से ये सुनने को मिलने लगा कि होते थे।नई पीढी सिर्फ किताबों में या मॉडर्न दुनीयाँ की नेट में पता चलेगा हा ऐसा भी था, बड़ी गम्भीरता का विषय हैं। लेकिन हम सब सोचते भी की प्रॉब्लम हैं लेकिन बाद में बोलते हैं कि मेरा काम थोड़ी हैं ये तो सरकार जाने, याद रखें सरकार पेेड़ लगाने नही आयेगी। येे  हमें और आप को योगदान देना होगा । पहले कितने पेड़ होते थे नीम,आम,पीपल,बरगद,जामुन,सीसम इत्यादि, अगर इन्ही में से पीपल की बात करे जो कम से कम हवा में इसके पत्ते तेज हिलकर हमे हवा देते हैं। इसके पत्ते से छाल से बहुत सारी बीमारियों का इलाज भी हैं लेकिन पता नही हैं किसी को। जब तक हमारे घरों में नीम का पेड़ होते थे तब तक डायबिटीज य शुगर कि बीमारी नहीं आई। क्योंकि ऊपर वाले ने कोई भी चीज बे मतलब नही बनाया जो बनाया हम इंसानो के लिए ही बनाया। लेकिन हम इन्सान उसे खत्म करने में लगे हैं।


 3-हवा जब पेड़ ही नही रहेंगे तो शुद्ध हवा कहा से मिलगी आश्चर्य की बात हैं कि ये सब बातें पूरे समाज को बहुत अच्छी तरह से पता हैं। लेकिन अफसोस हम सब अनजान बन गए हैं ये सोचकर कि जो होगा देखा जायेग शायद पूरी दुनिया को देखने को मिल रहा हैं। फिर भी हम लोगों को कोई फर्क नही पड़ता हैं। आज शायद कुछ ऐसे लोग हैं जिनके पास पैसे की कमी नही कुछ ऐसे भी जिनके पास बिल्कुल नही कुछ के पास सिर्फ खाने पीने भर का हैं। लेकिन किसी काम का नही होगा ये पैसा, माना कि जिंदगी जीने के पैसों की जरूरत होती हैं लेकिन ये सब चीजों की भी जरूरत हैं। आज बाजार में एयरप्यूरीफायर आने लगा हैं इसे क्या समझा जाये कि अब कुदरत के बिना खुद से हवा को बनायेगे,और बन भी जायेग लेकिन वो शद्ध हवा नही मिल पाएगी जो पेड़ो ये प्राकृतिक तरीके से प्राप्त होती थी।
इस समाज मे रहने वाले हर एक इंसान चाहे वे छोटे या बड़े सब से विन्रम निवेदन हैं-हवा, पेड़, पानी को बचाने का प्रयास करें। ताकि आने वाली पीढयों को जीवन देकर जाये और उनकी इन सब के बिना जीवन जीना मुश्किल होगा ये याद रहे। फिर वही बात होगी जिंदा रह कर भी जिंदा नही।
#SAFE WATTER # SAFE TREE



एक छोटी सी कोसिस अपने शब्दों में बाकी आप सब समझदार हैं,ये हम सब के लिये किसी एक के लिए नही।



बाकी आप लोगो अपने घरों में रहें सुरक्षित रहें। और दूरी बना के रखिये जब बाहर जाएं।
Covid-19



अबदुल्ला साबिर 
Abdulla sabir

Tuesday, May 5, 2020

03 कलम कुछ भी लिखे

कहकशां


दिल तो करता है लिख दूँ ,मोहब्बत के हर अल्फाज
मगर क्या करूँ उसने इज़ाजत नही दिया,
जिसने भी दिया अल्फाजे मोहब्बत
मैं उसे ढूंढ कर कहा से लाऊ।

न मिली तसल्ली किसी गैर से मिलने के बाद
लौट आजा अये मेरे सनम सब गिले शिकवे खत्म होने के बाद।
मुझे उम्मीद हैं तेरे मोहब्बत की रियासत से
पाक दमन हैं आज भी तू एक अर्शे के बाद।
चल कही दूर चलते हैं तुझे पाने के बाद
क्या पता कोई और जाग जाए मेरे सोने के बाद।

सब कुछ पा लिया तेरे आने के बाद
अब तो जी भर के शो लेने दें मौत आने तक,
क्या पता फिर न मिले मौका जागने के बाद।
इसी उम्मीद पे क़याम हैं सनम तुझे वापस पाने का बाद





अब्दुल्ला साबिर
Abdulla sabir



KEEP DISTANCE

Social distance

मन तो करता है कि समाज को कोशु फिर समझ आता ही कि हम लोग ही समाज हैं।लेकिन जब बात अपने सर आती हैं तो हम सब भूल जाते हैं कि किसके ऊपर क्या प्रभाव डाल रहे हैं। चलो माना कि प्रशासन ने आप लोगो को कुछ रियात दे दिया कि समाज मे विभिन्न प्रकार के लोग रहते हैं क्या पता उनको उस चीज की आवश्कयता हो लेकिन क्या सब को हैं,मेरे दोस्त ये समझने की जरूरत हैं कि आज का समय क्या हैं और क्या करना हैं लेकिन अफसोस सब कुछ जाने ने समझने के बाद न किसी अपने की फिक्र न करते हुऐ,और न ही अपना ख्याल रखा लग गए जाकर लाइन में। जरा सोचियेगा क्या इतनी जरूरत थी, हा जरूरत आज घर के खाने पीने के समान की न की मदिरा या पान की दुकान की।सरकार अपना काम कर रही है जो करना चाहये, लेकिन आप का अपना कर्तव्य भी शायद कुछ बनता हैं।लेकिन हम सब चंद घंटों में भूल जाते हैं कि आज मुल्को की क्या हालत हैं हमारे डॉक्टर प्रशासन लगातर दिन हो या रात वायरस से लड़ रहे हैं ।परंतु हम लोगो को किसी चीज से डर नही लगता हैं,जब परेशान होते हैं तो हम सरकार या प्रशासन को कोषते हैं ,लेकिन अपनी गलती का एहसास नही जब मेडिकल स्टाप से लेकर प्रशासन तक लगातार बोल रहे है कि 2 गज की दूरी बनाए और बहुत ही जरूरी हो तो ही घर से बाहर निकले,क्या वो समझने की जरूरत नही बोलिये ..मेरे भाई जिस कदर आज शराब के दुकानों पे भीड़ इकट्ठा हुये ये दिखने के बाद खुद सोचिये कि हम क्या गलती करके आये हैं ।ग्रीन जोन,ऑरेंज जोन,या रेड जोन इनसे हमे क्या लेना हैं जब तक हालात सामन्य न हो जाये प्रशासन हमें बोल न दे कि अब कोई खतरा नही हैं। आज जिस कदर लाइन में लोग लगे थे अगर कहीं इसे हालात में घर वाले बोल दे कि वह जाओ और राशन ले आओ तो वही लोग बोलेंगे कि लाइन में कोंन लगें। और नही लगेंगें क्योंकि वहाँ जिंदगी हैं इस लिए नही जाएंगे लाइन में लगने।इस कदर भीड़ जमा करके लाइन में लग कर क्या अमृत लेने गये थे।और सरकार जो इतने दिन से लगातार मेहनत करके लॉक डाउन कराया और अभी चल भी रहा हैं उसका तो आज एक ही दिन में सब बेकार हो गया सारा मेहनत इसलिए प्रशासन ने कही-कही पे छूट नही दिया क्योंकि सरकार को भी पता हैं हमारे बारे में ।अरे लोगो,यहाँ लोग जिन्दगी और मौत के बीच का सफर कर रहे हैं ,और हम सेलिब्रेट कर रहे हैं।मत निकलये अपने घरों से जब तक बहुत जरूरी घर का समान न लेने हो, और सुरक्षा ही जीवन हैं,शारब नही। अपने परिवार के हित के लिऐ घर से बाहर न निकले । और जब भी बाहर जाए मास्क एंड सेनेटाइजर की छोटी शीशी साथ रखे, और अपने आप को अपने परिवार सुरक्षित रखें इसे में भलाई हैं। और ये जिम्मेदारी भी हैं।
#stayhome #safe home #keep distance

रही जिंदगी पी लेंगे मैखाने में बैठ कर
एक दो जाम काफी नही जिंदगी जीने के लिये ।


अब्दुल्ला साबिर
Abdulla sabir